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कई धार्मिक त्योहारों के समारोह और महत्वपूर्ण दिनों में एक होता है ‘अहोई अष्टमी‘, जो हर साल माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद का त्योहार मनाया जाता है। यह विशेष रूप से माँ दुर्गा के बलिदान के दिन पूजन किया जाता है।

अहोई अष्टमी: माँ की कृपा और आशीर्वाद का अनूठा पर्व”

यह धार्मिक त्योहार माँ दुर्गा के बलिदान के बारे में है, जिसे माँ की कृपा का एक अद्भुत परिणाम माना जाता है। अहोई आष्टमी को हर साल अक्टूबर या नवंबर माह में मनाया जाता है। इस त्योहार में माताएं अपनी संतानों की रक्षा करने के लिए पूजा की जाती है।

अहोई अष्टमी का त्योहार कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार अहोई अष्टमी का त्योहार 5 नवंबर यानी आज के दिन मनाया जा रहा है. इस दिन माताएं अपने पुत्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. जबकि निःसंतान महिलाएं भी पुत्र कामना के लिए यह व्रत रखती हैं. इस व्रत को विशेष तौर पर उत्तर भारत में मनाया जाता है. इस दिन अहोई माता के साथ-साथ स्याही माता की भी पूजा का विधान है. इस दिन महिलाएं शाम को अहोई माता की पूजा करती हैं और तारे देखने पर व्रत खोलती हैं.

अहोई अष्टमी पूजन मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2023 Pujan Muhurat)

अहोई अष्टमी पर पूजन का समय आज शाम 5 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगा यानी पूजन के लिए आपको सिर्फ 1 घंटा 19 मिनट का ही समय मिलेगा. साथ ही अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा. पूजा करने या कथा सुनने के लिए ये दोनों ही मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ हैं.    

अहोई अष्टमी पर तारे निकलने का समय

अष्टमी तिथि की शुरुआत 5 नवंबर को रात 12 बजकर 59 मिनट से हो चुकी है और यह त्योहार 6 नवंबर को कल सुबह 3 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। अहोई अष्टमी का व्रत तारों को अर्घ्य देकर खोला जाता है। आज, तारों के निकलने का समय शाम 5 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

अहोई अष्टमी का पूजन विधि (AHOI ASHTAMI PUJAN VIDHI)

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के समय, पुत्र की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना करें। इसके बाद, अहोई अष्टमी व्रत का संकल्प करें और माँ पार्वती की आराधना करें।

अहोई माता की पूजा के लिए, गेरू से दीवार पर उनके चित्र के साथ ही साही और उनके सात पुत्रों की तस्वीर बनाएं। माता के सामने चावल की कटोरी, मौली, सिंघाड़ा आदि रखकर अष्टोई अष्टमी के व्रत की कथा सुनें।

सुबह पूजा करते समय, लोटे में पानी और उसके ऊपर करवे में पानी रखें। इसमें उपयोग किया जाने वाला करवा भी वही होना चाहिए, जो करवा चौथ में इस्तेमाल किया गया हो। शाम में, चित्रों की पूजा करें। लोटे के पानी से शाम को चावल के साथ तारों को अर्घ्य दें।

अहोई पूजा में चांदी की अहोई बनाने का विधान है, जिसे स्याहु कहते हैं। स्याहु की पूजा रोली, अक्षत, दूध से करें।

अहोई अष्टमी की सावधानियां (AHOI ASHTAMI PRECAUTIONS)

अहोई माता के व्रत में बिना स्नान किए पूजा-अर्चना ना करें। इस दिन महिलाओं को मिट्टी से जुड़े कार्य करने से बचना चाहिए। इस दिन काले, नीले या गहरे रंग के कपड़े बिल्कुल न पहनें। व्रत विधान के अनुसार, किसी भी जीव-जंतु को चोट ना पहुंचाएं और ना ही हरे-भरे वृक्षों को तोड़ें। अहोई के व्रत में पहले इस्तेमाल हुई पूजा सामग्री का दोबारा इस्तेमाल न करें।

अहोई अष्टमी कथा:

प्राचीन काल में एक साहूकार था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार ने अपने सभी बच्चों की शादी करा दी थी। हर दिवाली पर साहूकार की बेटी अपने मायके आती थी। दिवाली के अवसर पर घर की सजावट के लिए साहूकार की सातों बहुएं जंगल से मिट्टी लेने गईं। उन्हें जाते देख साहूकार की बेटी भी उनके साथ चल पड़ी। साहूकार की बेटी जंगल पहुंच कर मिट्टी काटने लगी, जहां स्याहु (साही) अपने बेटों के साथ रहती थी। मिट्टी काटते समय उसके हाथ से कुदाल स्याहु के एक बच्चे को लग गई और स्याहु का एक बच्चा मर गया।

इस पर क्रोधित होकर स्याहु ने कहा, “तुमने मेरे बच्चे को मार डाला, मैं भी तुम्हारी कोख बांधूंगी।”

स्याहु की बात सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से विनती करने लगी कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा ले। सबसे छोटी भाभी तैयार हुई और अपनी नंद के बदले उसने अपनी कोख बंधवा ली। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं, वे सात दिनों के भीतर ही मर जाते। सात पुत्रों की मृत्यु होने पर वह बहुत दुखी हुई और उसने पंडित को बुलाया और इसका कारण पूछा। पंडित ने उसकी व्यथा सुनी और सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

अहोई अष्टमी कथा:

सुरही गाय, छोटी बहु की सेवा से प्रसन्न होती है, और उससे पूछती है, “तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है, और मुझसे क्या चाहती है?”

साहूकार की छोटी बहु ने सुरही गाय को बताया कि स्याहु माता ने उसकी कोख बांध दी है, जिसके बाद जब भी बच्चे जन्म देती है, वो सात दिनों के भीतर ही मर जाते हैं। अगर आप मेरी कोख खुलवा दें, तो मैं आपका बहुत उपकार मानूंगी।

सुरही गाय उसकी बात मान कर उसे सात समुद्र पार स्याहु माता के पास ले जाने लगी। रास्ते में दोनों थक जाने पर आराम करने लगते हैं। तभी अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है, कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा होता है। वह उस बच्चे को बचाने के लिए सांप को मार देती है। जब गरूड़ पंखनी वहां खून बिखरा हुआ देखती है, तो उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार दिया। अपने बच्चे का हत्यारा समझ वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है।

छोटी बहू उसे समझाती है कि यह खून एक सांप का है, जिसे मारकर मैंने तुम्हारे बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी यह जान बहुत खुश होती है, और सुरही और छोटी बहू दोनों को स्याहु के पास पहुँचा देती है। वहां पहुँचकर छोटी बहू स्याहु की भी बहुत सेवा करती है। छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर स्याहु उसे सात पुत्र और सात बहू होने का आशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से उसका घर फिर से हरा-भरा हो जाता है।

अहोई का एक अर्थ यह भी होता है ‘अनहोनी को होनी बनाना’। जैसे साहूकार की छोटी बहू ने अनहोनी को होनी कर दिखाया। इसी कारण से अहोई अष्टमी का व्रत करने की परंपरा चली |

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अहोई अष्टमी का त्योहार खास तौर पर माँ दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन को खास रूप से मातृत्व और माँ की कृपा का प्रतीक माना जाता है। माँ के आशीर्वाद से ही हर संतान को सुरक्षित रखा जा सकता है और उन्हें सुख और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।

इस त्योहार के दिन धार्मिक स्थलों पर भजन-कीर्तन होता है, लोग माँ दुर्गा का पूजन करते हैं और व्रत के नियमों का पालन करते हैं। इस दिन को संतानों की खुशियों और सुरक्षा के लिए विशेष महत्त्व दिया जाता है।

अहोई आष्टमी का यह विशेष पर्व हर साल माताओं के प्यार और संबल का प्रतीक होता है। इसे ध्यान में रखते हुए, लोग इस दिन को विशेष तरीके से मनाते हैं और माँ की कृपा की कामना करते हैं।

इस विशेष त्योहार में माताओं के प्यार और आशीर्वाद को समझने और मानने का अद्भुत अवसर होता है। यह एक सामूहिक भावना का दिन होता है, जो हमें अपनी माँ के प्रति हमारी भावनाओं को समझने का अवसर देता है।

इस खास दिन को ध्यान में रखते हुए, हम अपनी माँ के प्रति आभार और समर्पण का प्रकटीकरण कर सकते हैं, जो हमारे जीवन में खुशियों और समृद्धि लाता है।

By Anup Tiwari

Complete Graduation From Calcutta University. Blogging since last 7 Years on multiple platforms.

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